Wednesday, 8 May 2024

टीचर 5 बच्चे जीरो: यूपी में चल रहा है, एक ऐसा हैरतअंगेज कमाल का स्कूल

टीचर 5 बच्चे जीरो: अक्सर हमें सुनने को मिलता है कि फलां जगह सरकारी स्कूल में बच्चे तो हैं, लेकिन…

टीचर 5 बच्चे जीरो: यूपी में चल रहा है, एक ऐसा हैरतअंगेज कमाल का स्कूल

टीचर 5 बच्चे जीरो: अक्सर हमें सुनने को मिलता है कि फलां जगह सरकारी स्कूल में बच्चे तो हैं, लेकिन टीचर नहीं हैं। या शिक्षक हैं भी, तो बच्चों की तुलना में कम हैं। कई बार पता चलता है कि शिक्षक भीं हैं, बच्चे भी हैं, लेकिन बिल्डिंग नहीं है, इसलिए खुले में पढ़ाई हो रही है। मगर यूपी में एक ऐसा अनूठा स्कूल हैं, जहां बिल्डिंग भी है और टीचर भी पूरे 5 हैं, लेकिन बच्चा एक भी नहीं है। ये शिक्षक बच्चों के अभाव में बिना पढ़ाए ही वेतन ले रहे हैं।

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यूपी का अजब-गज़ब स्कूल, टीचर 5 बच्चे जीरो

ये अनूठा स्कूल है, उत्तर प्रदेश के बागपत जनपद में। ये एक ऐसा निराला ऐसा स्कूल है जिसमें एक भी बच्चा नहीं पढ़ता है, लेकिन अध्यापकों कि संख्या 5 हैं। यह सरकारी स्कूल बागपत जनपद के अब्दुलपुर नामक गांव में है। इसका नाम है संविलियन उच्च प्राथमिक विद्यालय।

पिछले 3 साल से विद्यालय में बच्चे न होने के चलते अध्यापक तय समय पर स्कूल में पहुंचते हैं और फिर अपनी ड्यूटी पूरी करने के बाद वापस लौट जाते हैं। स्कूल में एक भी छात्र नहीं होने के कारण यहाँ के टीचर 3 साल से खाली स्कूल में बैठकर ही सैलरी ले रहे हैं।

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टीचर 5 बच्चे जीरो: इसलिए किया गया था स्कूल का निर्माण

कहा जाता है कि इस विद्यालय का निर्माण इसलिए कराया गया था, क्योंकि वर्षों पहले गांव में जेल का निर्माण हो रहा था। उस समय जेल के निर्माण का काम करने वाले मजदूरों के बच्चों को शिक्षा के लिए स्कूल की आवश्यकता थी। करीब 5 साल तक इस जेल का निर्माण होता रहा। इस दौरान निर्माण कार्य में लगे मजदूरों के बच्चे इसमें पढ़ने के लिए आते थे। 5 साल तक मजदूरों के 15 बच्चे इस स्कूल में पढ़े।

लेकिन जेल तैयार हो जाने के बाद मजदूर यहाँ से चले गए। मजदूरों के यहाँ से वापस जाने के बाद साल 2021 से अब तक इस विद्यालय में एक भी बच्चे का दाखिला नहीं हुआ है। उच्च प्राथमिक विद्यालय में प्रभारी प्रधानाध्यापक संजय सिंह के साथ माहिरा, गजेंद्र सिंह, सुधीर कुमार और सोनिया धामा नाम के कुल पांच टीचरों को यहां तैनात किया गया है।

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बच्चो को स्कूल में प्रवेश कराने के सारे प्रयास हुए विफल

इस स्कूल के अध्यापकों का कहना है कि स्कूल में बच्चों का दाखिला न होने के कारण विद्यालय के शिक्षक निर्धारित समय पर स्कूल पहुंच जाते हैं और रोजाना सुबह स्कूल खोलने के बाद उसमें बैठे रहते हैं। शाम को स्कूल का समय पूरा हो जाने के बाद वापस अपने घर लौट जाते हैं। ऐसा नहीं है इस स्कूल में बच्चों के प्रवेश के प्रयास नहीं किए गए, मगर ये प्रयास सफल नहीं हो सके हैं।

इस बारे में गाँव के प्रधान का यह कहना है कि इस गांव में कुल 30 परिवार रहते हैं और सभी परिवार पूरी तरह सक्षम हैं। ये सभी लोग अपने बच्चों को अंग्रेजी मीडियम के स्कूलों में पढ़ाते हैं। स्थानीय बेसिक शिक्षा अधिकारी का कहना है कि स्थिति को देखते हुए यहां पर तैनात शिक्षकों को दूसरे विद्यालय से अटैच करने के लिए शासन को सूचना भेजी जा चुकी है। शासन अपने स्तर पर इस पर आवश्यक कार्रवाई करेगा।

टीचर 5 बच्चे जीरो

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