Kankan Bandhan : “कंकन बंधन” शब्द आपने जरूर सुना होगा। यदि आप पूर्वी उत्तर प्रदेश अथवा बिहार के रहने वाले हैं तो “कंकन बंधन” क्या होता है। आप जरूर जानते होंगे। जो लोग “कंकन बंधन” को जानते हैं वे निश्चित रूप से बुद्धिमान तथा स्मार्ट हैं। जो “कंकन बंधन” को नहीं जानते उन्हें हम बता देते हैं कि क्या होता है “कंकन बंधन” ?
प्रेम का प्रतीक है “कंकन बंधन”
आपको बता दें कि बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश में शादी की रात को मंडप में दूल्हा और दुल्हन के हाथों पर ‘कंकन बंधन’ की रस्म निभाई जाती है। आम के पत्ते में हल्दी, रंगीन चावल और पैसे को रखकर लाल या पीले सूती धागे के साथ उसे कंकन बनाकर दूल्हे के दाहिने और दुल्हन के बाएं हाथ पर बांधा जाता है।
एक हाथ से खोलने की परंपरा
इस कंकन बंधन को अगले चार दिनों तक लडक़ा और लडक़ी दोनों अपने हाथों पर रखते हैं। ऐसी मान्यता है कि चतुर्थी होने पर दूल्हा-दुल्हन को एक-दूसरे की कलाई पर बंधे कंकन को एक हाथ से खोलना होता है।
दीर्घायु होने की कामना
कंकन को अटूट बंधन और प्रेम का प्रतीक माना जाता है और इसे बांधते समय दूल्हा और दुल्हन की दीर्घायु होने की कामना भी की जाती है। कंकन में लोहे का छल्ला भी बांधा जाता है, जो बुरी नजर और नकारात्मक शक्तियों से उनकी रक्षा करता है। Kankan Bandhan
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