Saturday, 16 November 2024

दत्तात्रेय जयंती के दिन करें इस स्त्रोत का पाठ, दूर होगा सभी कष्ट 

दत्तात्रेय जयंती का पर्व मार्गशीर्ष माह में आने वाली पूर्णिमा को मनाया जाता है।

दत्तात्रेय जयंती के दिन करें इस स्त्रोत का पाठ, दूर होगा सभी कष्ट 

Dattatreya Jayanti 2023 : दत्तात्रेय जयंती का पर्व मार्गशीर्ष माह में आने वाली पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस वर्ष दत्तात्रेय जयन्ती 26 दिसम्बर, 2023 को मंगलवार के दिन मनाई जाएगी। दत्‍तत्रेय जयंती के दिन इस स्‍त्रोत का पाठ करने से आपके सभी कष्‍ट दूर हो जाएंगे।

गुरु-शिष्य परंपरा में इस दिन का बहुत विशेष स्थान

धार्मिक दृष्टिकोण से जहां ये दिन विशेष है वहीं गुरु-शिष्य परंपरा में इस दिन का बहुत विशेष स्थान रहा है। दत्तात्रेय जयंती के दिन भगवान दत्तात्रेय का पूजन किया जाता है, मार्गशीर्ष माह को पवित्र माना गया है। इस माह की पूर्णिमा को दत्तात्रेय जयंती मनाई जाती है। भगवान दत्तात्रेय ब्रह्मा, विष्णु और शिव के बाल रूप हैं।

Dattatreya Jayanti 2023

इस दिन पर किए जाने वाले धार्मिक कार्य शुभ फल करते हैं प्रदान

मान्यता के अनुसार, अगर इस दिन भगवान दत्तात्रेय की पूजा की जाए तो वे भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं। भगवान दत्तात्रेय महर्षि अत्रि मुनि और अनुसूर्या के पुत्र हैं। जब त्रिदेवों ने माता अनुसूया की भक्ति की परीक्षा ली और उनसे प्रसन्न हुए तब ब्रह्मा, विष्णु और भगवान शिव ने अनुसूया के पुत्र दत्तात्रेय के रूप में जन्म लिया। मार्गशीर्ष माह के समय पर आने वाली यह जयंती अत्यंत ही शुभ होती है। इस दिन पर किए जाने वाले धार्मिक कार्य शुभ फल प्रदान करते हैं।

दत्तात्रेय जयंती स्त्रोत लाभ 

मार्गशीर्ष माह में आने वाली पूर्णिमा के दिन दत्तात्रेय जयंती का पर्व को मनाया जाता है। इस दिन का बहुत विशेष स्थान रहा है। दत्तात्रेय जयंती के दिन भगवान दत्तात्रेय का पूजन किया जाता है, इसी के साथ इस दिन दत्तात्रेय स्त्रोत का पाठ करने से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। मार्गशीर्ष माह को जहां विष्णु पूजन के लिए पवित्र माना गया है वहीं इस दिन श्री दत्तात्रेय पूजन की भी बहुत महिमा रही है।  इस माह की पूर्णिमा को दत्तात्रेय जयंती मनाई जाती है। भगवान दत्तात्रेय ब्रह्मा, विष्णु और शिव के स्वरूप हैं और दत्तात्रेय को गुरुओं में श्रेष्ठ स्थान प्राप्त है। आइये जानें दत्तात्रेय स्त्रोत की महिमा व उसका महत्व।

दत्तात्रेय स्त्रोत की महिमा व उसका महत्व

भगवान दत्तात्रेय के तीन मुख और छह भुजाएं हैं। धर्म कथाओं के अनुसार प्राप्त होता है कि भगवान दत्तात्रेय ने पशुरामजी को श्रीविद्या मन्त्र प्रदान किया था जो गुरु शिष्य परंपरा में विशेष माना गया है। हर साल मार्गशीर्ष यानी अगहन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को भगवान दत्तात्रेय की जयंती मनाई जाती है। भगवान श्री दत्तात्रेय की जयंती के अवसर पर इस स्त्रोत का पाठ करने से सभी नकारात्मक तत्व दूर हो जाते हैं। भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

Dattatreya Jayanti 2023

 ।। श्री दत्तात्रेय स्तोत्र ।।

जटाधरं पाण्डुराङ्गं शूलहस्तं कृपानिधिम् ।

सर्वरोगहरं देवं दत्तात्रेयमहं भजे ॥

 

अस्य श्रीदत्तात्रेयस्तोत्रमन्त्रस्य भगवान् नारदऋषिः ।

अनुष्टुप् छन्दः । श्रीदत्तपरमात्मा देवता ।

श्रीदत्तप्रीत्यर्थे जपे विनियोगः ॥

जगदुत्पत्तिकर्त्रे च स्थितिसंहार हेतवे ।

भवपाशविमुक्ताय दत्तात्रेय नमोऽस्तुते ॥

 

जराजन्मविनाशाय देहशुद्धिकराय च ।

दिगम्बरदयामूर्ते दत्तात्रेय नमोऽस्तुते ॥

कर्पूरकान्तिदेहाय ब्रह्ममूर्तिधराय च ।

वेदशास्त्रपरिज्ञाय दत्तात्रेय नमोऽस्तुते ॥

र्हस्वदीर्घकृशस्थूल-नामगोत्र-विवर्जित ।

पञ्चभूतैकदीप्ताय दत्तात्रेय नमोऽस्तुते ॥

 

यज्ञभोक्ते च यज्ञाय यज्ञरूपधराय च ।

यज्ञप्रियाय सिद्धाय दत्तात्रेय नमोऽस्तुते ॥

आदौ ब्रह्मा मध्य विष्णुरन्ते देवः सदाशिवः ।

मूर्तित्रयस्वरूपाय दत्तात्रेय नमोऽस्तुते ॥

भोगालयाय भोगाय योगयोग्याय धारिणे ।

 

जितेन्द्रियजितज्ञाय दत्तात्रेय नमोऽस्तुते ॥

दिगम्बराय दिव्याय दिव्यरूपध्राय च ।

सदोदितपरब्रह्म दत्तात्रेय नमोऽस्तुते ॥

जम्बुद्वीपमहाक्षेत्रमातापुरनिवासिने ।

जयमानसतां देव दत्तात्रेय नमोऽस्तुते ॥

 

भिक्षाटनं गृहे ग्रामे पात्रं हेममयं करे ।

नानास्वादमयी भिक्षा दत्तात्रेय नमोऽस्तुते ॥

ब्रह्मज्ञानमयी मुद्रा वस्त्रे चाकाशभूतले ।

प्रज्ञानघनबोधाय दत्तात्रेय नमोऽस्तुते ॥

अवधूतसदानन्दपरब्रह्मस्वरूपिणे ।

विदेहदेहरूपाय दत्तात्रेय नमोऽस्तुते ॥

 

सत्यंरूपसदाचारसत्यधर्मपरायण ।

सत्याश्रयपरोक्षाय दत्तात्रेय नमोऽस्तुते ॥

शूलहस्तगदापाणे वनमालासुकन्धर ।

यज्ञसूत्रधरब्रह्मन् दत्तात्रेय नमोऽस्तुते ॥

क्षराक्षरस्वरूपाय परात्परतराय च ।

दत्तमुक्तिपरस्तोत्र दत्तात्रेय नमोऽस्तुते ॥

 

दत्त विद्याढ्यलक्ष्मीश दत्त स्वात्मस्वरूपिणे ।

गुणनिर्गुणरूपाय दत्तात्रेय नमोऽस्तुते ॥

शत्रुनाशकरं स्तोत्रं ज्ञानविज्ञानदायकम् ।

सर्वपापं शमं याति दत्तात्रेय नमोऽस्तुते ॥

इदं स्तोत्रं महद्दिव्यं दत्तप्रत्यक्षकारकम् ।

दत्तात्रेयप्रसादाच्च नारदेन प्रकीर्तितम् ॥

॥ इति श्रीनारदपुराणे नारदविरचितं दत्तात्रेयस्तोत्रं सुसम्पूर्णम् ॥

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