Saturday, 30 November 2024

सेना और रेलवे के बाद देश में सबसे ज़्यादा ज़मीन वक्फ बोर्ड के पास

Waqf Board :  वक्फ बोर्ड अक्सर किसी न किसी विवाद को लेकर चर्चा में रहता है। कभी वक्फ बोर्ड में…

सेना और रेलवे के बाद देश में सबसे ज़्यादा ज़मीन वक्फ बोर्ड के पास

Waqf Board :  वक्फ बोर्ड अक्सर किसी न किसी विवाद को लेकर चर्चा में रहता है। कभी वक्फ बोर्ड में होने वाली नियुक्तियों में भ्रष्टाचार को लेकर तो कभी जबरन ज़मीन कब्ज़ा करने को लेकर। आम आदमी पार्टी के विधायक और दिल्ली वक्फ बोर्ड के सदस्य अमानतुल्लाह खान पर बोर्ड में नियुक्ति को लेकर भी भ्रष्टाचार का आरोप लगा था। वहीं दूसरी तरफ आंध्र प्रदेश वक्फ बोर्ड अपने विवादित फतवा के लिए सुर्खियो में बना हुआ है। अपने फतवा में अल्पसंख्यक अहमदिया को गैर मुसलिम व काफिर घोषित कर दिया। वहीं पिछले वर्ष तमिलनाडु का एक गांव जिसमें 95% हिन्दू आबादी रहती है उसे Waqf Board द्वारा वक्फ संपत्ति घोषित कर दिया गया।

क्या है वक्फ बोर्ड?

वक्फ अरबी भाषा का शब्द है जिसका अर्थ होता है अल्लाह के नाम पर धर्म और सेवा के कार्य के लिए दान की गई संपत्ति।

वक्फ बोर्ड की स्थापना अज़ादी के बाद सन 1954 में पारित वक्फ एक्ट के तहत की गई। वक्फ बोर्ड का गठन बंटवारे के बाद देश छोड़कर गए मुसलिमो की संपत्ति सुरक्षा के लिए किया गया था।

1995 में पी वी नरसिम्हा राव की कांग्रेस सरकार द्वारा इस एक्ट में संशोधन किया गया और बोर्ड को नए प्रावधान देकर असीमित शक्तियां दे दी गई। वक्फ एक्ट 1995 के धारा 40 के अनुसार कौन सी ज़मीन वक्फ की है यह वक्फ बोर्ड तय करेगा। ज़मीन वक्फ की है कि नहीं इसके निर्धारण के तीन आधार हैं – पहला अगर किसी ने अपनी संपत्ति वक्फ बोर्ड के नाम कर दी, दूसरा अगर कोई मुसलमान या मुस्लिम संस्था जमीन का लंबे समय से इस्तेमाल कर रहा है और तीसरा, सर्वे में जमीन का वक्फ की संपत्ति घोषित की गई हो। इनमें से किसी भी आधार पर वक्फ बोर्ड संपत्ति का दावा कर सकता है। अगर वक्फ बोर्ड किसी की संपत्ति पर दावा करता है तो वह व्यक्ति कोर्ट नहीं जा सकता, बल्कि वक्फ बोर्ड से ही गुहार लगा सकता है और जो बोर्ड का फैसला होगा उसे भी अदालत में चुनौती नहीं दी जा सकती है। बोर्ड के फैसले को वफ्फ ट्रिब्यूनल में चुनौती दी जा सकती है लेकिन धारा 85 के तहत ट्राइब्यूनल के फैसले को हाईकोर्ट अथवा सुप्रीम कोर्ट में चुनौती नहीं दी जा सकती है।

वक्फ बोर्ड के पास 8 लाख एकड़ से अधिक ज़मीन 

आज पूरे देश में सेना और रेलवे के बाद तीसरे स्थान पर वफ्फ बोर्ड आता है। आपको बता दें कि साल 2009 तक बोर्ड के पास 4 लाख एकड़ ज़मीन थी जो कि वर्तमान में बढ़कर दुगुनी हो गई है। प्रश्न यह है कि वफ्फ के पास इतनी ज़मीन कहाँ से आई?

क्या है आम आदमी पार्टी विधायक अमानतुल्लाह खान से जुड़ा विवाद?

आप विधायक और दिल्ली वफ्फ बोर्ड के सदस्य अमानतुल्लाह खान पर आरोप है कि बोर्ड में की गई तमाम नियुक्तियों में नियम का पालन नहीं किया गया। एंटी करप्शन स्क्वाड (ATS) ने पिछले वर्ष अमानतुल्लाह खान को हिरासत में लेकर पूछ्ताछ भी किया था। वर्ष 2016 में CBI द्वारा अमानतुल्लाह खान पर नियुक्ति में अनियमितता के आरोप में मामला दर्ज़ किया गया था। CBI के अनुसार महबूब आलम की नियुक्ति बोर्ड के CEO के रूप में नियम का उल्लंघन ही है। CBI का अगला आरोप यह भी था कि आप विधायक अमानतुल्लाह खान तमाम पदों पर अपने ने सगे-संबंधियों की नियुक्ति कर दी, इन नियुक्तियों के दौरान किसी भी प्रकार के नियम का पालन नहीं किया गया। अमानतुल्लाह खान पर यह भी आरोप है कि इन्होनें वफ्फ की ज़मीन किराये पर लगा कर इसका प्रयोग निजी फायदे के लिए की है।

दिल्ली वफ्फ बोर्ड की ज़मीन के दुरूपयोग का यह पहला मामला नहीं है। इसी वर्ष मार्च 2023 में दिल्ली हाईकोर्ट अपने एक फैसले में धार्मिक स्थल को निजी संपत्ति बनाने को गैर कानूनी घोषित कर चुकी है। जब्ता गंज मस्ज़िद के पूर्व इमाम के बेटे जाहिर अहमद को दिल्ली वफ्फ बोर्ड और प्रशासन द्वारा वफ्फ बोर्ड की संपत्ति खाली करने की नोटिस के खिलाफ हाई कोर्ट में चुनौती दी गई थी। ज़ाहिर अहमद पर वफ्फ बोर्ड की ज़मीन पर अवैध कब्ज़ा का आरोप था। हिमाचल प्रदेश में वक्फ बोर्ड के अधिकारी द्वारा रिश्वत लेकर बोर्ड की जमीन का लीज़ रिन्यू कर देने का मामला भी सामने आया था।

इसके अलावा Waqf Board  की जमीन को व्यक्तिगत संपत्ति के लिए कई बड़े अपराधी-माफियाओं ने भी प्रयोग किया है। जिसमें अतीक अहमद और मुख्तार अंसारी जैसे नाम शामिल है। स्पष्ट है कि वक्फ बोर्ड में गैर-कानूनन रूप से और भ्रष्टाचार में लिप्त काम होना देखा जा सकता है, इसके अलावा समाज के लिए खतरा बने माफियाओं को बढ़ावा देने की घटनाएँ भी समझी जा रही है। ज्यादातर सरगनाओं को इसी बोर्ड द्वारा पनाह दिया जा रहा है। सरकार Waqf Board द्वारा की जा रही मनमानी और इसकी संपत्ति के गैर कानूनी प्रयोग पर तमाम नकेल कसने के बावजूद भी इस पर नियंत्रण नहीं हो पा रहा है। वहीं कानून के जानकार व अन्य लोग वफ्फ बोर्ड से जुड़े कानून में बदलाव की माँग कर रहे हैं।

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