Thursday, 21 November 2024

गजराज योजना: ट्रैक पर अब नहीं जाएगी हाथियों की जान, रेलवे ने की ये पहल

गजराज योजना: रेलवे ट्रैक पर देखा गया है कि अक्सर राह भटक कर हाथी आ जाते हैं। इस कारण कई…

गजराज योजना: ट्रैक पर अब नहीं जाएगी हाथियों की जान, रेलवे ने की ये पहल

गजराज योजना: रेलवे ट्रैक पर देखा गया है कि अक्सर राह भटक कर हाथी आ जाते हैं। इस कारण कई बार वो हादसे का शिकार हो जाते हैं और अपनी जान गंवा देते हैं। लेकिन अब रेलवे ने गजराज योजना लागू की है, जिससे इन बेजुबान जानवरों की रक्षा हो सकेगी। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इसकी जानकारी दी। इसे असम में पहले ही लागू किया जा चुका है और अब इसे कई अन्य राज्यों में भी लागू किया जा रहा है।

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गजराज योजना हुई लागू, अब सुरक्षित होंगे ट्रैक पर आने वाले हाथी

रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इसकी जानकारी देते हुए बताया कि “गजराज तकनीक को प्रायोगिक तौर पर असम में शुरू किया गया था। असम के 150 किलोमीटर ट्रैक पर इस सिस्टम को लगाया गया था। इस सिस्टम के लगने से हाथियों की मृत्यु दर में बहुत हद तक काबू पाया गया है। पिछले साल असम में इस नई तकनीक पर काम किया गया था, जो पूरी तरह से सफल रहा। यही वजह है कि इस तकनीक को देश के दूसरे राज्यों में भी लगाए जाने का फैसला लिया गया है।”

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क्या है रेलवे की गजराज योजना की प्लानिंग

रेलवे द्वारा देश के 700 किलोमीटर एलिफेंट प्रोन एरिया में इस योजना को लागू किया जा रहा है। जिनमें गजराज तकनीक लगानी है, ये राज्य हैं असम, बंगाल, ओडिशा, केरल, झारखंड, छत्तीसगढ़, तमिलनाडु, उतराखंड। हाथी बाहुल्य इलाकों में इस तकनीक से अगले 7-8 महीने में पूरा एरिया कवर हो जाएगा। इस तकनीक में ट्रैक के समांतर ऑप्टिकल फाइबर के जाल बिछाए जाएंगे, जिससे समय रहते लोको पायलट को हाथियों की जानकारी मिल सके। गजराज तकनीक पर 181 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत आएगी।

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कैसे काम करती है ये गजराज तकनीक

‘गजराज तकनीक’ एक AI आधारित स्वदेशी सॉफ्टवेयर है, जो रेल ट्रैक पर या उसके आस-पास किसी भी संदिग्ध गतिविधि के बारे में लोको पायलट को सचेत करेगा। इसमें ऑप्टिकल फाइबर केबल का उपयोग किया गया है। इस तकनीक में हथियों का 99.5% एक्युरेसी के साथ डिटेक्शन हो जाता है, जिससे रेलवे ट्रैक पर आने वाले हाथियों की जान बचाई जा सकती है।

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रेलवे की गजराज तकनीक में ऑप्टीकल फाइवर के पास जैसे ही कोई हैवी चीज पड़ती है या प्रेशर वेब पड़ती है, तो उससे ऑप्टिकल फाइबर पर साउंड वेब डिटेक्ट होता है। ऑप्टीकल फाइवर से जो साउंड वेव निकलता है, यह लाइट वेव के स्पीड से आगे ट्रांसमिट होता है। जिससे स्टेशन मास्टर, लोको पायलट, कंट्रोल ऑफीसर और अलग जगहों पर एक साथ सिग्नल पहुंचते हैं और इसका 200 मीटर की दूरी से भी पता लग जाता है।

गजराज योजना

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