Ram Mandir Ayodhya : इन दिनों हर कोई बस अयोध्या में होने वाले भगवान श्रीराम की प्राण प्रतिष्ठ को लेकर उत्सुक है। इस बीच मंदिर में घुंघरु- घंटी उद्योंग की नगरी कहे जाने वाले एटा से 2400 किलो का घंटा अयोध्या पहुंचा है। इसे राम मंदिर तक लाने की जिम्मेदारी इसको बनाने वाले व्यापरियों पर थी, जिसे वह फूलों से सजे रथ में रख कर अयोध्या लेकर आए और श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को सौंप दिया। इस बड़े घंटे के अलावा 7 अन्य घंटे भी ट्रस्ट को सौंपे गए जिनका वजन 50 किलो है। बताया जा रहा है कि इन घंटों के बजने से ऊं की आवाज गूंजती है। इस घंटे को बनाने के लिए लगभग 70 कारीगरों की मदद लगी थी। जिन्होंने इसं केवल 25 मिनट के अंदर बना कर तैयार कर दिया था।
इस बारे में जानकारी देते हुए एक कारोबारी ने बताया कि उन्होंने यह घंटा अपने पिता की स्मृति में तैयार किया है। 8 जनवरी को एटा से एक प्रतिनिधिमंडल जुलूस लेकर अयोध्या के लिए निकला था। जहां पहले उन्होंने 2100 किलो के घंटे को बनाने की योजना बनाई थी, लेकिन इसे बनाते-बनाते उनमें इतना उत्साह था कि घंटा 2100 से 2400 किलो का बना गया। इस घंटे को बनाने में लगभग 25 लाख रुपए का खर्चा आया है। साथ ही उन्होंने बताया कि सभी कारीगरों की इच्छा है कि यह घंटा भगवान राम के मंदिर (Ram Mandir Ayodhya) में लगे, क्योंकि इसकी ध्वनी शांति के माहौल में करीबन 2 किमी तक सुनाई देती है।
70 कारीगरों की मदद से बना एक घंटा
आपको बता दें इस 24 क्विंटल वजनी इस घंटे को 25 मिनट के अंदर ही 70 कारीगरों की मदद से तैयार किया गया है। हालांकि जो इस घंटे का सांचा था उसका निर्माण करने में तीन महीने का समय लगा था। इसके बाद इसकी फीनिशिंग की गई। इस घंटे पर इस बनाने वाले सावित्री ट्रेडर्स और उसके मालिक प्रशांत मित्तल, मनोज मित्तल, आदित्य मित्तल का नाम भी लिखा जाएगा। इस बारे में जानकारी देते हुए कारोबारी ने बताया कि इस घंटे से जलेसर की पहचान विश्व में होगी। इतना बड़ा घंटा अभी तक ना बना है और ना ही बनेगा। इस घंटे का आकार 6 फीट से ज्यादा ऊंचा है। इसकी आवाज 2 किलोमीटर दूर तक सुनाई दे सकती है।
अष्टधातु से बना है घंटा
राम मंदिर में आया यह 2400 किलो वजन का यह घंटा अष्टधातु से बनाया गया है। इसके बजने पर इसमें से निकलने वाली आवाज ‘ऊं’ होती है। जलेसर के पीतल की घंटे पूरे विश्व में जाने जाते हैं। यहां बनने वाले घंटो की खास बात यह है कि इसे बजाने से ऊं की प्रतिध्वनि ही गूंजती है। इसी गूंज की वजह से यह विश्वभर में मशहुर है। इस बारे जानकारी देते हुए कारीगरों ने बताया कि छोटी घंटियों से लेकर बड़े-बड़े घंटों तक बनाने के लिए जलेसर ही जाना जाता है। इसी वजह से इसे एक जिला एक उत्पाद के रूप में भी यूपी सरकार ने बढ़ावा दिया गया है।
शीशम के पलंग पर होगा रामलला का शयन, गद्दा, रजाई और चादर भी मंगवाई
देश विदेश की खबरों से अपडेट रहने लिए चेतना मंच के साथ जुड़े रहें।
देश-दुनिया की लेटेस्ट खबरों से अपडेट रहने के लिए हमें फेसबुक पर लाइक करें या ट्विटर पर फॉलो करें।