नई दिल्ली: साल के मार्च की शुरुआत में गर्मी होने लगी थी, जिस वजह से बिजली (Trains Cancel) की मांग काफी तेजी से बढ़ रही है और अप्रैल में ही कोयले का संकट होना शुरू हो गया है। कुछ दिनों पहले देश के कई प्लांट मौजूद हो गए थे, जहां पर सिर्फ 2-3 दिन का ही कोयला बच गया था।
इसके बाद रेलवे हरकत में आना शुरू हो गया और यात्री ट्रेनों को रद्द कर कोयले वाली गाड़ियों की आवाजाही को बढ़ावा मिलना शुरू हुआ था। जिससे अब कोयले की रेक की आवाजाही में सुविधा हो रही है, इसी कारण से आने वाले कुछ दिनों तक यात्री ट्रेनों के पहियों में ब्रेक लगा रहने वाला है।
1100 ट्रेनें की गई रद्द
कोयला रेक की आवाजाही से देखा जाए तो सुविधाजनक बनाने को लेकर 24 मई तक कम से कम 1,100 ट्रेनें रद्द होने जा रही है। एक्सप्रेस मेल ट्रेनों के लगभग 500 ट्रिप और पैसेंजर ट्रेनों के 580 ट्रिप रद्द की जा चुकी है।
रेलवे ने 29 अप्रैल को देखा जाए तो देशभर में कम से कम 400 रेक की आवाजाही को सुविधाजनक बनाने को ध्यान में रखकर 240 यात्री ट्रेनों को रद्द करने का ऐलान कर दिया था। हालांकि देश के विभिन्न हिस्सों में कोयला खदान श्रमिकों की हड़ताल से सरकार के लिए चिंता का विषय बना हुआ है।
मई में फिर बढ़ने जा रही है मांग
केंद्र सरकार उम्मीद कर रहा है कि मई में बिजली (Trains Cancel) की मांग बढ़ने जा रही है। इस वजह से सोच रहे हैं कि ज्यादा से ज्यादा कोयले की सप्लाई विभिन्न राज्यों के पावर प्लांट कर दिया जाना चाहिए जिससे कोई दिक्कत नही हुई है।
एक जानकारी के मुताबिक जिन राज्यों में कोयले का भंडार बना हुआ है, उनको छोड़ने के अलावा ज्यादातर राज्यों में कोयले संकट काफी हद तक बढ़ गया है। इसमें सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य दिल्ली, राजस्थान, पंजाब और उत्तर प्रदेश हैं। महाराष्ट्र को भी जल्द ही बिजली की मांग में तेजी की उम्मीद लगाई जा रही है।
ताजा जानकारी मिली है कि 173 पावर प्लांट में से 108 में कोयले का स्टॉक गंभीर रूप से देखा जाए तो निम्न स्तर पर पहुंचना शुरू हो चुका है, जिससे वे केवल कुछ दिनों के लिए बिजली की मांग को पूरा करने में सक्षम समझा जा रहा है। हालांकि केंद्र सरकार ने दावा कर दिया है कि कोयले की गाड़ियों की संख्या काफी ज्यादा बढ़ना शुरू हो गई है। आने वाले कुछ ही दिनों में स्टॉक बराबर होने की पूरी संभावना है।