Operation Silkyara : भारतीय नागरिकों के बारे में एक कहावत पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। वह कहावत यह है कि भारतीय नागरिक जिस काम को पूरा करने की ठान ले, उस काम को निर्धारित समय से पहले ही कर देते हैं। यह बात उत्तरकाशी की सिलक्यारा टनल आपरेशन पूरा करके सिद्ध भी कर दिया गया है। टनल में फंसे मजदूरों को बाहर निकालने के लिए करोड़ों रुपये की मशीनें मंगाई गई थी, लेकिन सभी मशीनें फेल हो गई और भारतीय रैट माइनर्स ने हाथों ही हाथों से पहाड़ को खोद डाला और टनल में फंसे सभी मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकाला।
Operation Silkyara
यहां हम आपको उत्तरकाशी की सिलक्यारा टनल की पूरी कहानी बताएंगे। आपको जानकारी देंगे कि भारतीय रैट माइनर्स ने कैसे अपने हाथों से पहाड़ को खोदा और भीतर फंसे लोगों को किस तरह से बाहर निकाला गया। आइए जानते हैं …
12 नवंबर 2023 को जब पूरा देश दीपावली का जश्न मना रहा था, तब उत्तराखंड के उत्तरकाशी में एक हादसा हुआ। भूस्खलन के कारण सिलक्यारा टनल में काम कर रहे देश के 41 जांबाज श्रमिक टनल में फंस गए। इन श्रमिकों के टनल में फंसते ही उत्तराखंड से लेकर दिल्ली और पूरे विश्व में हाहाकार मच गया। टनल में फंसे जाबांज श्रमिकों ने भी अपना हौंसला नहीं खोया और जैसे तैसे 17 दिन सुरंग के भीतर ही गुजारे। इस बीच उत्तराखंड सरकार से लेकर केंद्र सरकार और अन्य सरकारी मशीनरी इन 41 लोगों को बाहर निकालने के लिए तमाम प्रयास करते रहे।
आपरेशन सिलक्यारा टनल शुरू किया गया तो अमेरिका से एक विशेष प्रकार की ऑगर ड्रिलिंग मशीन मंगाई गई। इस मशीन को भारत आने में कई दिन का समय लग गया। इस मशीन से काम शुरू किया गया तो यह लक्ष्य पर पहुंचने से पहले ही फेल हो गई। किसी तरह से इस मशीन के उपकरणों को बाहर निकाला गया। चिंतन मनन किया गया कि कैसे 41 श्रमिकों को सुरंग से बाहर निकाला जाए।
26 नवंबर 2023, रविवार को पर 6 ‘रैट होल’ माइनर्स को बुलाया गया। इन रैट माइनर्स को प्राइवेट कंपनी ट्रेंचलेस इंजिनियरिंग सर्विसेज की ओर से बुलाया गया। ये दिल्ली समेत कई राज्यों में वाटर पाइपलाइन बिछाने के समय अपनी टनलिंग क्षमता का प्रदर्शन कर चुके हैं। उत्तरकाशी में इनके काम करने का तरीका ‘रैट होल’ माइनिंग से अलग था। रैट मानइर्स अपने कार्य को करने की पूरी क्षमता रखते हैं। यह ठीक उसी तरह से काम करते हैं, जिस तरह से एक चूूंहा कार्य करता है। साधारण भाषा में कहें तो रैट माइनर्स हाथों से खुदाई करके सुरंग तैयार करते हैं। इन्हें जमीन के भीतर काम करने का अनुभव होता है और यह उस काम को भी आसानी से पूरा लेते हैं, जो काम मशीनों से नहीं किया जा सकता।
कुछ इस तरह से हुआ काम
रैट माइनर्स की टीम ड्रिल मशीनों के साथ पहुंचती है, इन्हीं की मदद से मलबे की खुदाई कर रास्ता बनाया जाता है। 2 रैट माइनर्स पाइपलाइन में जाते हैं। एक आगे का रास्ता बनाता है और दूसरा मलबे को ट्रॉली में भरता है। अंदर के दो लोग जब थक जाते हैं तो बाहर से दो अंदर जाते हैं।
उत्तरकाशी टनल रेस्क्यू में रैट माइनर्स एंट्री वैसे ही हुई, जैसे फिल्म में एक हीरो की होती है। जब फिल्म में हीरो आता है तो सबकुछ ठीक कर देता है। उत्तरकाशी की सुरंग में फंसे मजदूरों को बाहर निकालने में इन माइनर्स की भूमिका किसी नायक जैसी ही है और इनकी ही मेहनत रंग लाई।
कब बाहर आया पहला मजदूर
मंगलवार को विभिन्न टीवी चैनलों द्वारा यह दावा किया जा रहा था कि मंगलवार की दोपहर तक सभी मजदूरों को बाहर निकाल लिया जाएगा। लेकिन ऑपरेशन को सफलतापूर्वक पूरा होने में देर शाम हो गई और शाम 7.47 बजे पहला मजदूर निकाला।
रात 7.55 बजे 5 मजदूर निकाले गए। रात 8.05 बजे 9 मजदूर निकाले गए। रात 8.17 बजे 22 मजदूर निकाले। रात 8.27 बजे 33 मजदूर निकाले। रात 8.36 बजे सभी 41 मजदूर निकाले गए।
कुल कितने लोग लगे थे आपरेशन टनल में
आपको बता दें कि सिलक्यारा टनल में फंसे मजदूरों को बाहर निकालने के लिए कुल 652 लोग लगे हुए थे। जिनमें 106 स्वास्थ्यकर्मी, 189 पुलिस अधिकारी, 39 एसडीआरएफ के जवान, 62 एनडीआरएफ के जवान, 17 आईटीबीपी 35 बीएन के जवान, 60 आईटीबीपी 12 बीएन, 12 फायर मैन उत्तरकाशी, 7 वायरलेस पुलिस, 24 डीडीएमए, 46 जवान जल संस्थान उत्तरकाशी, 9 डीएसओ उत्तरकाशी, 3 सूचना विभाग, 32 यूपीसीएल, 1 सीडी पीडब्लूडी चिन्यालिसोर शामिल हैं।
यह ऑपरेशन इतना भी आसान नहीं रहा। सरकारों और तमाम बचावकर्मियों को इस सफलता को पाने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ी है। कई एजेंसियों के लगभग 17 दिनों के गहन प्रयासों के बाद, उत्तराखंड की सिल्कयारा सुरंग में फंसे सभी 41 श्रमिकों को मंगलवार को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रात में सफल ऑपरेशन की सराहना करते हुए देश का नेतृत्व किया।
बड़ी खबर : उत्तरकाशी टनल से सुरक्षित निकाले गए सभी 41 मजदूर, पूरा हुआ रेस्क्यू ऑपरेशन
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