New Delhi News नई दिल्ली। देश की आर्थिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए रेपो रेट में कोई बदलाव न करना लोगों के लिए किसी तोहफे से कम नहीं है। त्यौहारी सीजन से पहले रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने रेपो रेट न बढ़ाने का गिफ्ट दिया है। इस फैसले से आम जनता की जेब पर असर नहीं पड़ेगा और लोन लेने वाले लोगों की ईएमआई भी नहीं बढ़ेगी।
आरबीआई की मौद्रिक नीति की समीक्षा बैठक
देश के केंद्रीय बैंक आरबीआई द्वारा हर दो महीने के बाद मौद्रिक नीति की समीक्षा बैठक की जाती है। यह बैठक तीन दिवसीय होती है। इस बैठक की अध्यक्षता आरबीआई के गवर्नर करते हैं। 4 अक्टूबर से आरबीआई की मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक शुरू हुई थी। इस बैठक का फैसला आज आरबीआई गवर्नर द्वारा दिया गया है। फेस्टिव सीजन में इन फैसलों पर सबकी नजर बनी हुई है। इस बैठक में देश के आर्थिक स्थिति और महंगाई को ध्यान में रखकर फैसले लिए जाते हैं।
New Delhi News
रेपो रेट के बढ़ाए जाने से लोगों पर भार बढ़ता है। लोगों द्वारा लिए गए लोन आदि की किस्त महंगी हो जाती है। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने ऐलान किया कि इस बार भी बैठक में फैसला लिया गया है कि रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा। इसका मतलब है कि रेपो रेट यथावत 6.5 फीसदी पर बना रहेगा। आपको बता दें कि कई विशेषज्ञों ने उम्मीद जताई थी कि मुद्रास्फीति और अन्य वैश्विक कारकों के कारण रेपो रेट को स्थिर रखने का फैसला लिया जा सकता है।
रेपो रेट क्या होता है?
रेपो रेट को आसान भाषा में समझें तो यह केंद्रीय बैंक द्वारा देश के बाकी बैंकों में दिये जाने वाले कर्ज की दर होती है। बैंक इसी दर पर ग्राहकों को भी लोन की सुविधा देते हैं। अगर केंद्रीय बैंक रेपो रेट को कम करने का फैसला लेता है तो इसका मतलब होता है कि अब बैंक ग्राहकों को कम ब्याज दर पर होम लोन, व्हीकल और बाकी लोन देती है। रेपो रेट के बढ़ाए जाने से लोगों पर भार बढ़ता है। लोगों द्वारा लिए गए लोन आदि की किस्त महंगी हो जाती है।
जानें क्यों बन गए मामा भांजे एक दूसरे के दुश्मन
देश विदेश की खबरों से अपडेट रहने लिए चेतना मंच के साथ जुड़े रहें।
देश–दुनिया की लेटेस्ट खबरों से अपडेट रहने के लिए हमें फेसबुक पर लाइक करें या ट्विटर पर फॉलो करें।