Paytm News : उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले में पैदा हुआ एक गरीब लड़का देश का चर्चित अरबपति है । उत्तर प्रदेश के नोएडा शहर में अपनी कंपनी का मुख्यालय स्थापित करने वाला यह लड़का वर्ष 2010 में किराए के एक छोटे से कमरे में उधार के पैसों से गुजारा करता था । अब यही गरीब लड़का अरबपति हैं।
आज हम आपको विस्तार से बताने वाले हैं खाक पति से अरबपति बनने वाले उत्तर प्रदेश के इस लड़के की कहानी
कौन है यह गरीब से अमीर बना लड़का
उत्तर प्रदेश के मूल निवासी इस गरीब लड़के की आजकल खूब चर्चा हो रही है दरअसल यह लड़का और कोई नहीं बल्कि देश की सबसे तेजी से चर्चित हुई पेटीएम एप कंपनी का मालिक विजय शेखर शर्मा है। इन दिनों आरबीआई के एक फैसले के कारण पेटीएम की जबरदस्त चर्चा हो रही है। इस चर्चा का कारण आरबीआई द्वारा पेटीएम पर रोक लगाई गई है। ऐसे में हर कोई जानना चाहता है कि पेटीएम कंपनी का मालिक कौन है, लोग यह भी जानना चाहते हैं कि पेटीएम इतनी बड़ी कंपनी कैसे बनी यहां हम आपको विस्तार से बता रहे हैं पेटीएम तथा पेटीएम के मालिक की पूरी कहानी।
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गरीबी से शुरू हुआ सफर
आपको बता दें जाने-माने पत्रकार भारत भूषण ने पेटीएम के मालिक विजय शेखर शर्मा की जीवनी पर एक लंबा आलेख लिखा है। इस आलेख की भूमिका में भारत भूषण लिखते हैं कि हिंदी माध्यम स्कूल में पढ़ा, एक गरीब मध्यमवर्गीय पृष्ठभूमि का लड़का, संघर्ष के दिनों में जिसके पास पेट भरने तक के लिए पैसे नहीं हुआ करते थे, कैसे इंजीनियर बनने का ख्वाब लिए दिल्ली आता है, और फिर भारतीय बाजार में एक नए विचार को जन्म देता है, यह कहानी पेटीएम के संस्थापक विजय शेखर शर्मा की है, जिन्होंने ‘गो बिग और गो होम” को अपने व्यावसायिक जीवन का फलसफा तो बनाया, लेकिन बड़े सपनों के पीछे भागते हुए कभी उन्होंने यह नहीं सोचा होगा कि उनकी दौड़ उन्हें वहां ले जाएगी, जहां से आगे कोई राह नहीं होगी। विजय भारतीय समाज के कमजोर आर्थिक वर्ग का चेहरा रहे हैं। भले ही वह एक ऐसे परिवार से आते थे, जहां वित्तीय समस्याएं थीं, फिर भी बाधाओं को तोड़ते हुए वे भारतीय स्टार्टअप में सबसे बड़े नामों में से एक बने। लगातार सीमाओं को लांघते हुए और डिजिटल लेन-देन के परिदृश्य में क्रांति लाकर विजय शेखर शर्मा ने न केवल बहुत समृद्धि अर्जित की है, बल्कि भारत में व्यापार के पारिस्थितिकी तंत्र को भी बदल कर रख दिया है। आज के समय में वह और उनका पेटीएम चर्चा का विषय बने हुए हैं, तो इसके पीछे की वजह है आरबीआई ने उनके पेटीएम पेमेंट बैंक पर प्रतिबंध लगाते हुए यह घोषणा की है कि 29 फरवरी, 2024 के बाद अकाउंट और वॉलेट में नई जमा राशि स्वीकार नहीं की जाएगी। 2010 में दिल्ली में एक छोटे-से किराये के कमरे से शुरुआत करने वाले विजय शेखर ने उस समय कल्पना भी नहीं की होगी कि जिस पेटीएम के माध्यम से वह डिजिटल इंडिया का सबसे बड़ा चेहरा बनने जा रहे हैं, वह पेटीएम एक दिन इस कगार पर पहुंच जाएगा।
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विजय शेखर शर्मा का परिचय
विजय शेखर का जन्म 15 जुलाई, 1978 को उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले के हरदुआगंज में एक सामान्य परिवार में हुआ था। विजय शेखर की प्रारंभिक शिक्षा अलीगढ़ के एक हिंदी मीडियम स्कूल में हुई थी। विजय प्रारंभ से ही मेधावी छात्र थे और कक्षा में हमेशा प्रथम स्थान प्राप्त करते थे। मात्र 14 वर्ष की आयु में ही विजय ने 12वीं कक्षा उत्तीर्ण कर ली थी। 19 साल में दिल्ली प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय से बीटेक भी पूरी की। वह चार भाई- बहन हैं, उनके पिता सुलोम प्रकाश एक स्कूल में अध्यापक के रूप में काम करते थे और उनकी मां आशा शर्मा घर की देखभाल करती थीं। विजय शेखर शर्मा ने 2005 में मृदुला पराशर से शादी की। उनके अनुसार, जब वह दस हजार रुपये कमाते थे, तो उनकी शादी नहीं हो रही थी, परंतु सफल होने के बाद हर एक व्यक्ति अपनी बेटी का विवाह उनसे करवाना चाहता था।
पूरा दिन रहे भूखे
1997 में अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई के दौरान ही उन्होंने इंडियासाइट डॉट नेट नाम की एक वेबसाइट बनाई थी। बाद में उन्होंने इसे अच्छी कीमत पर बेचा दिया। साल 2000 में उन्होंने वन-97 कम्युनिकेशंस की स्थापना की, जो वन-97 पेटीएम की पैरेंट कंपनी है। इस कंपनी की वजह से ही साल भर में बहुत अधिक नुकसान झेलना पड़ा। 11 सितंबर, 2001 को अमेरिका में हुए भीषण हमले का असर मार्केट पर इतना अधिक पड़ा था कि बड़े-बड़े संस्थान हिल गए थे। इसका असर विजय शेखर की कंपनी पर भी पड़ा। आर्थिक स्थिति इतनी खराब हो गई कि बस का किराया न होने पर वो पैदल चलकर घर जाते थे। कभी- कभी पैसे की इतनी अधिक तंगी हो जाती थी कि पूरा दिन मात्र दो कप चाय से ही काम चलना पड़ता था। उन्होंने लोगों के घर -घर जाकर कंप्यूटर रिपेयर करने का काम किया, लेकिन सपने देखना बंद नहीं किया।
विजय के शौक
जब विजय इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने दिल्ली आए तो उन्हें हिंदी और अंग्रेजी की दुनिया के बीच का बहुत बड़ा अंतर पता चला। हिंदी मीडियम से पढ़े विजय की अंग्रेजी उस समय अच्छी नहीं थी। हालांकि उन्हें कुछ ऐसे साथी भी मिले जिन्होंने अंग्रेजी को सीखने में उनकी मदद की। अपनी अदम्य इच्छाशक्ति की बदौलत उन्होंने इस पर जीत पाई। विजय को अपना अधिकांश समय पुस्तकालय में अंग्रेजी में लिखी सफलता की कहानियां पढ़कर बिताना अच्छा लगता था। सफलता की इतनी सारी कहानियों को पढऩे के बाद, वह समझ गए थे कि अगर जीवन में कुछ बड़ा करना है, तो खुद का मालिक बनना पड़ेगा।
बने अरबपति
विजय शेखर कहते हैं कि बहुत समय तक उनके माता-पिता को पता ही नहीं था कि उनका बेटा करता क्या है। लेकिन एक बार मेरी मां ने मेरे बारे में अखबार में पढ़ा, जब उन्हें पता चला कि उनका बेटा इतना अमीर हो गया है। उन्होंने मुझसे पूछा कि वाकई तेरे पास इतना पैसा है? तब विजय अपनी मां की बात पर हंस पड़े। विजय की किस्मत कुछ ऐसी बदली कि वे साल 2017 में भारत के सबसे कम उम्र के अरबपति बन गए। फाइनेंस-टेक कंपनी पेटीएम अब भारत की सबसे मशहूर कंपनियों में से एक बन गई है और नए उद्योगपतियों के लिए एक प्रेरणा भी।
नोट बंदी से मालामाल Paytm News
बता दें कि पेटीएम की शुरुआत करीब एक दशक पहले हुई थी। तब यह सिर्फ मोबाइल रिचार्ज करने वाली कंपनी थी। लेकिन उबर ने जब से भारत में इस कंपनी को अपना पेमेंट पार्टनर बनाया, पेटीएम की किस्मत बदल गई। इस सफलता में एक और उछाल साल 2016 में आया, जब भारत सरकार ने नोटबंदी कर दी और डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा दिया। नोटबंदी के बाद तो पेटीएम बड़े-बड़े शोरूम से लेकर ठेले-रिक्शा तक पहुंच गया।
पेटीएम पर बड़ा संकट
500 मिलियन भारतीय ग्राहकों तक बैंकिंग और फाइनेंशियल सर्विसेज को पहुंचाने और कंपनी के ऑपरेशन को विस्तार देने के इरादे से विजय शेखर ने 2019 में पेटीएम पेमेंट बैंक की शुरुआत की। यह देश के सबसे बड़े डिजिटल बैंक में से एक है। वर्तमान संकट पेटीएम पेमेंट बैंक से जुड़ा हुआ है, जिसके चलते मूल ब्रांड पेटीएम की छवि मुश्किल में है। फिलहाल भारत में पेटीएम को दो बड़े प्रतिद्वंद्वी वॉलमार्ट का फोनपे और गूगल पे हैं। अब देखना यह है कि यूपी के एक छोटे शहर अलीगढ़ से निकलकर दुनिया भर में डिजिटल पेमेंट क्रांति लाने वाले विजय शेखर का पेटीएम आरबीआई की रडार से किस तरह इस नए संकट से पार पाता है? Paytm News
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