UP News : उत्तर प्रदेश की संभल लोकसभा सीट से सांसद रहे डॉक्टर शफीकुर्ररहमान बर्क के दसवें पर शामिल होने के लिए समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव संभल पहुंचे। इस दौरान सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भारतीय जनता पार्टी पर जमकर अपनी भड़ास निकाली। साथ ही उन्होंने संकेत दिया है कि संभल लोकसभा सीट से सपा का लोकसभा प्रत्याशी कौन होगा।
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दरअसल संभल के सपा सांसद डॉक्टर शफीकुर्रहमान बर्क के दसवें में शामिल होने के लिए सपा के मुखिया और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव बुधवार को संभल पहुंचे। इस दौरान संभल लोकसभा सीट पर अखिलेश यादव ने इशारों में संकेत दे दिया है कि सपा सांसद डॉक्टर शफीकुर्रहमान बर्क के इंतकाल के बाद इस सीट से सपा का प्रत्याशी कौन होगा। अखिलेश यादव ने जनता को संबोधित करते हुए संभल लोकसभा सीट पर टिकट डॉ. शफीकुर्रहमान बर्क़ के परिवार को ही देने का ऐलान किया।
अखिलेश ने जियाउर्रहमान की तरफ किया इशारा
संभल पहुंचे सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि पार्टी आपकी भावनाओं को समझती है। डॉ. शफीकुर्रहमान बर्क की सियासी विरासत को उनका परिवार ही संभालेगा। आप लोग चुनाव की तैयारी करो कोई कमी न रहने पाए। अखिलेश यादव के इशारे के बाद माना जा रहा है कि बर्क के विधायक पोते जियाउर्रहमान बर्क को टिकट मिल सकता है। इसके अलावा अखिलेश ने कहा कि सबसे बड़ी लड़ाई इस बार देश में होने जा रही है वह संविधान को बचाने की है। बाबा साहब ने जो संविधान दिया वह सबको बराबर का हक और सम्मान देता है। इस बार संविधान मंथन होने जा रहा है।
कुंदरकी से विधायक हैं जियाउर्रहमान बर्क
बता दें कि जियाउर्रहमान बर्क दिवंगत सपा सासंद शफीकुर्रहमान बर्क के पोते हैं और वह उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले की कुंदरकी विधानसभा से विधायक हैं। साल 2022 के विधानसभा चुनाव में जियाउर्रहमान बर्क ने बीजेपी उम्मीदवार कमल कुमार को बड़े अंतर से हराया था। अब आगामी लोकसभा चुनाव में वह सपा के टिकट पर संभल सीट से चुनाव लड़ सकते हैं। क्योंकि दादा शफीकुर्रहमान बर्क के निधन के बाद सपा मुखिया अखिलेश यादव बर्क के परिवार को ही इस सीट पर उम्मीदवार बनाएंगे। बता दें कि संभल सीट पर साल 2019 के चुनाव में शफीकुर्रहमान बर्क ने बीजेपी के परमेश्वर लाल सैनी को हराया था।
‘ये मंत्री केवल मंत्री बने रहेंगे’
अखिलेश यादव ने योगी सरकार के शपथ ग्रहण पर प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने दावा किया कि ये मंत्री केवल मंत्री बने रहेंगे काम नहीं कर पाएंगे। नए मंत्रियों के बीच विभागों का बंटवारा होना है। फिर प्रमुख सचिव नियुक्त करवाना होगा। अपने विभाग में जिलों के अधिकारियों को नियुक्त करना होगा और जब तक ये सब होगा तब तक चुनाव आ जाएगा और ये सब केवल नाम के मंत्री रह जाएंगे। काम नहीं कर पाएंगे।
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