Noida News : नोएडा तथा ग्रेटर नोएडा क्षेत्र के किसानों की समस्याएं समाप्त होने का नाम नहीं ले रही हैं। लम्बे अर्से से नोएडा क्षेत्र में सक्रिय किसान संघर्ष समिति नोएडा ने किसानों की आवाज को एक बार फिर से बुलंद किया है। किसान संघर्ष समिति नोएडा ने उत्तर प्रदेश की सरकार को 13 साल पुराना एक समझौता याद दिलाया है।
नोएडा प्राधिकरण के मुखिया को दिलाया याद
बृहस्पतिवार को किसान संघर्ष समिति नोएडा का एक प्रतिनिधि मंडल नोएडा प्राधिकरण के अध्यक्ष मनोज सिंह से मिला। श्री सिंह नोएडा तथा ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के अध्यक्ष के साथ ही साथ उत्तर प्रदेश के औद्योगिक विकास विभाग के आयुक्त भी हैं। किसान नेता महेश अवाना तथा भाजपा नेता योगेन्द्र चौधरी के नेतृत्व में किसान संघर्ष समिति नोएडा ने श्री सिंह के सामने महत्वपूर्ण विषय को उठाया। नेताओं ने श्री सिंह को बताया कि वर्ष-2011 में 30 जुलाई को नोएडा के किसानों तथा नोएडा प्राधिकरण के बीच में समझौता हुआ था। 13 साल बाद भी नोएडा प्राधिकरण उस समझौते को लागू नहीं कर रहा है। श्री सिंह को एक ज्ञापन सौंपते हुए नेताओं ने मांगी की कि 2011 के समझौते को तुरंत लागू कराया जाए।
लंबित हैं नोएडा के किसानों के 9 बड़े मुद्दे
नोएडा प्राधिकरण के अध्यक्ष मनोज सिंह को सौंपे गए मुददों में 9 बड़े मुददे उठाए गए हैं। इन मुददों में कहा गया है कि :-
✔ किसानों की आबादी जहाँ है जैसी है के आधार पर छोड़ी जाये या ग्रामीण आबादी नियमावली में संशोधन करके 450 वर्गमीटर के स्थान पर 1000 वर्गमीटर की जाये जिससे सभी किसानों की आबादी की समस्या समाप्त हो सके।
✔ ग्रामीण मवन नियमावली में संशोधन करते हुए 15 मीटर ऊँचाई के स्थान पर 20 मीटर करायी जाये तथा नियमों को सुलम बनायी जाये जिससे ग्रामीणों को नक्शा स्वीकृत कराने के लिए परेशान ना होना पड़े।
✔ 5 प्रतिशत आबादी मभूख़ण्डों पर केवल मूल किसानों (जैसे जिस किसान की भूमि नौएडा के विकास के लिए जा चुकी है एवं जिनका रोजगार छीन चुका है) तथा उनके बच्चों का एवं स्वंय किसान के भविष्य को ध्यान में रखते हुए उनके जीवीकोपार्जन हेतु उक्त भूख़ण्ड पर व्यवसाय करने की अनुमति दी जाये जिससे कि किसानों को रोजगार का अवसर प्राप्त हो सके। उ0प्र0 शासन द्वारा जारी किये गये भूमि अधिग्रहण ही नयी नीति संख्या 632 (1)एक-13-2011 के पारित फिया जा चुका है।
✔ 1976 से 1997 के बीच अधिग्रहण भूमि के सापेक्ष आरक्षित श्रेणी के भूखण्ड एकमुस्त आवासीय स्कीम के तहत सभी बचे हुए किसानों को दिये जायें। जिन किसानों के भूखण्ड रोके हुए हैं उनका निस्तारण कर आवंटन शीघ की जाये।
✔ 1976 से 1997 के बीच अधिग्रहण भूमि पर चल रहे अपीलीय एवं पी.पी.एफ. के मुकदमों को वापस लिया जाए।
✔ 1997 से 2014 के बीच अधिग्रहित भूमि के सापेक्ष 64.7 प्रतिशत बढ़ा हुआ मुआवजा 10 प्रतिशत आवासीय भूखण्ड देने के समझौते के बाद भी 1997 से 2002 तक बढ़ा हुआ मुआवजा 5 प्रतिशत आबादी भूखण्ड नहीं दिये जाने से किसानों की माँगे बरकरार हैं।
✔ नौएडा प्राधिकरण की नौकरी में किसान के बच्चों की शैक्षिक योग्यता के आधार पर सभी नौकरियों में आरक्षण दिये जाये। नौएडा प्राधिकरण द्वारा आवंटित स्कूलों, कॉलेजों, अस्पतालों के आवंटन की शर्त के अनुसार किसानों के बच्चों को शिक्षा एवं चिकित्सा सुविधा देने तथा औद्योगिक क्षेत्र में रोजगार देने।
✔ औद्योगिक व्यवसायिक संस्थागत में छोटे-छोटे भूखण्ड एवं डेयरी फार्म योजना निकाल कर किसानों को प्राथमिकता के आधार पर भूखण्ड दिलाया जाय। बचे गाँव में वीडीएस योजना लागू की जाये।
✔ गाँवों का विकास सैक्टर की तर्ज पर की जाये तथा सभी गाँवों में मदर डेयरी व स्वास्थ्य केन्द्र, ओपन जिम, पार्क आदि की सुविधा दी जाये। किसानों पर आश्रित जाति जैसे नाई, धोबी, मुम्हार, बाल्मीकि आदि को छोटे-छोटे भूखण्ड देने जैसे आदि विभिन्न मांगों पर प्राधिकरण द्वारा अदालत, प्राधिकरण बोर्ड विनियमावली एवं शासनादेश आने का हवाला देते हुए किसान के हितों की लगातार अनदेखी करते हुए वादा खिलाफी की जा रही है।
क्षेत्र के किसानों में रोष व्याप्त है। किसान संघर्ष समिति को आपसे विशेष उम्मीद है कि आप किसानों की मांगों को प्राथमिकता के आधार पर ही करायेंगे। किसान नेताओं ने नोएडा प्राधिकरण के अध्यक्ष मनोज सिंह से कहा कि इन 9 मुद्दों पर नोएडा प्राधिकरण के साथ हुए 13 साल पुराने समझौते को तुरंत लागू कराया जाए। इस मौके पर भाजपा नेता योगेन्द्र चौधरी, महेश अवाना एडवोकेट, हरिश्चंद भाटी, सुदेश अवाना, देवेन्द्र कुमार व अन्य लोग मौजूद थे।