Wednesday, 18 December 2024

USA News : जातिगत भेदभाव को गैरकानूनी घोषित करने वाला पहला राज्य बन सकता है California

अमेरिका का कैलिफोर्निया राज्य जाति पर आधारित भेदभावों ( Caste based discrimination) को समाप्त करने वाला पहला राज्य (USA News)…

USA News : जातिगत भेदभाव को गैरकानूनी घोषित करने वाला पहला राज्य बन सकता है California

अमेरिका का कैलिफोर्निया राज्य जाति पर आधारित भेदभावों ( Caste based discrimination) को समाप्त करने वाला पहला राज्य (USA News) बन सकता है। इस संबंध में दक्षिण एशिया मूल के लोगों का कहना है कि आवास, शिक्षा एवं तकनीकी क्षेत्रों में वे एक अहम भूमिका निभाते हैं किन्तु जाति आधारित भेदभावों के चलते उन्हें आपेक्षित सुविधाएं प्राप्त नहीं हो पाती हैं।

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संयुक्त राज्य अमेरिका में रहने वाले निचली जाति के लोग अक्सर ऐसी समस्याओं का सामना करते हैं और वे एक लम्बे समय से किसी ऐसे कानून (Bill) की मांग कर रहे हैं जो उन्हें इस विभाजनकारी नीति से बचा सके। राज्य विधायिका ( State Legislature) के रूप में चुनी गयी पहली मुस्लिम एवं अफगान अमेरिकी आइशा वहाब ने बुधवार के दिन यह बिल प्रस्तुत किया और कहा कि,” सामाजिक न्याय ( Social Justice) को प्राप्त करना हर नागरिक का अधिकार है और इस देश में रहने वाले हर नागरिक को यह अधिकार होना चाहिए कि वे स्वतंत्र रूप से यहाँ रह सकें और अमेरिका (USA News) से जुड़े हुए अपने हर सपने को पूरा कर सकें।”

समर्थन और विरोध दोनों का ही सामना कर रहा यह बिल

बुधवार के दिन जातिगत भेदभाव के विरोध में प्रस्तुत किये गए इस बिल (USA News) को कुछ संगठनों का समर्थन मिल रहा है तो वहीं कुछ समूह इसे अन्य लोगों के लिए नुकसानदायक भी बता रहे हैं। Hindu American Foundation और Coalition of Hindus of North America यह तर्क रखता है कि ऐसे बिल के आने से उन समुदायों को नुकसान होगा जो पहले से ही जाति व्यवस्था का यहाँ सामना कर रहे हैं और ख़ास कर उन हिन्दुओं एवं भारतीय अमेरिकी लोगों को जो जाति व्यवस्था से जुड़े हैं और इसमें विश्वास रखते हैं। वहीं दूसरी तरफ Hindus for Human Rights तथा Hindus for Caste Equity जैसे संगठन इस कानून का पूरा समर्थन करते हुए दिख रहे हैं।

क्या कहती हैं आइशा वहाब?

वहाब का कहना है कि, ” किसी भी समाज में सुरक्षा हमेशा धर्म और जाति से ऊपर होनी चाहिये और इस बात की समझ कमजोर वर्गों को काफी कम होती है। ऐसे में यह कानून उनकी सुरक्षा को निश्चित करता है। इसके साथ साथ समाज में एक अल्पसंख्यक वर्ग को किस तरह से चित्रित किया जाता है यह भी उन्हें काफी संवेदनशील बनाता है। ”

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