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आठ घंटे तक पड़ा रहा शव, आर्थिक तंगी की वजह से नहीं हो सका इंतजाम

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UP News : उत्तर प्रदेश के बलरामपुर जिले से एक बेहद दुखद और शर्मनाक घटना सामने आई है। यहां एक युवक की मृत्यु के बाद उसके परिजनों के पास शव को गांव ले जाने के लिए पैसे नहीं थे। जिसके चलते शव करीब आठ घंटे तक सड़क पर पड़ा रहा। यह घटना न केवल विनोद के परिवार की दयनीय स्थिति को बयां करती है, बल्कि समाज में गरीबी और उसकी संवेदनहीनता को भी दर्शाती है।

यह घटना बलरामपुर के हरैया के देवनगर क्षेत्र में हुई। विनोद चौधरी की मौत शुक्रवार सुबह करीब पांच बजे यतीमखाना मोहल्ले में हुई। उनके परिवार ने बताया कि विनोद की तबीयत पिछले कुछ समय से खराब चल रही थी। वह पहले गुजरात में काम करते थे, लेकिन स्वास्थ्य की वजह से चार महीने पहले वो अपने घर लौट आए थे।

मोहल्ले के लोग करते थे मदद

जानकारी के मुताबिक, विनोद का इलाज उनके ससुराल में शंकरपुर में उनकी बहन के घर पर चल रहा था। हालात बिगड़ने पर उन्हें जिला मेमोरियल अस्पताल में भर्ती करने का प्रयास किया गया। हालांकि, विनोद अस्पताल में रुकने को राजी नहीं थे। उन्होंने यतीमखाना मोहल्ले की मार्केट में एक चौकी पर रहकर दिन बिताने का फैसला लिया। जहां मोहल्ले के लोग उन्हें खाना और नाश्ता देकर मदद कर रहे थे।

परिवार की दयनीय स्थिति

जब विनोद की मृत्यु हुई तब पत्नी नासिया ने तुरंत अपने परिजनों को सूचना दी। हालांकि, विनोद का पैतृक गांव लगभग 40 किमी दूर था और आर्थिक तंगी की वजह से परिवार शव को गांव ले जाने के लिए इंतजार करने को मजबूर था। आठ घंटे तक शव सड़क पर पड़ा रहा, जबकि परिजन मदद के लिए आने की कोशिश कर रहे थे।

महाप्रबंधक कर्नल ने बढ़ाया मदद का हाथ

जब बलरामपुर स्टेट के महाप्रबंधक कर्नल को इस घटना की जानकारी मिली तब उन्होंने तुरंत हस्तक्षेप किया। उन्होंने शव को गांव पहुंचाने की व्यवस्था कराई  ताकि विनोद के अंतिम संस्कार की प्रक्रिया समय पर पूरी की जा सके।

ग्राम प्रधान की ओर से प्रतिक्रिया  UP News

ग्राम प्रधान राजा राम ने इस स्थिति पर दुख व्यक्त करते हुए कहा कि मृतक के परिजनों की स्थिति बेहद दयनीय है। उन्होंने बताया कि शव लाने के लिए भी परिवार के पास पैसे नहीं थे। उन्होंने अपनी तरफ से वाहन का प्रबंध किया, लेकिन तब तक लोग वहां से शव लेकर जा चुके थे।

यह घटना हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि आर्थिक तंगी के चलते कितनी गंभीर समस्याएं खड़ी हो सकती हैं। यह केवल विनोद के परिवार की कहानी नहीं है, बल्कि हमारे समाज में कई ऐसे लोग हैं जो इसी तरह की परिस्थितियों का सामना कर रहे हैं। हमें इंसानियत और सहानुभूति का महत्व समझना चाहिए ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए कदम उठाए जा सके। UP News

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