Israel-Hamas war : इजराइल और हमास के बीच छिड़ी जंग खत्म होने का नाम नहीं ले रही है. इस विवाद ने रूस-यूक्रेन संकट के बाद एक बार फिर विश्व में अस्थिरता को जन्म दे दिया है.
पहले हमास ने इजराइल पर ताबड़तोड़ हमले कर इजराइल की संप्रभुता को चुनौती देने के साथ आम जनता की जानें ली. अब इजराइल भी हमास को जड़ से खत्म करने को लेकर इतना उतारू है कि वह आमजन की जानों की परवाह भी नहीं कर रहा है.गाजा पट्टी में पैदा हुए खाद्य संकट ने भी चिंता बढ़ा दी है. इजराइल ने सैन्य आपरेशन के चलते खाद्य आपूर्ति को सीमित किया हुआ है, जिससे लोगों के पास खाने, अस्पतालों में दवाएं व आवश्यक सामान का संकट बना हुआ है. यह विवाद न सिर्फ राजनीतिक अस्थिरता को बढ़ावा दे रहा है, बल्कि मानवता के लिए भी संकट पैदा कर रहा है.
पश्चिमी व मुस्लिम देश दो गुटों में बंटेः इजराइल-हमास के बीच चल रही जंग के चलते विश्व दो ध्रुवों में बंटा नजर आ रहा है. एक तरफ इजराइल के साथ अमेरिकाए ब्रिटेन, फ्रांस समेत अन्य पश्चिमी देश खड़े हो गए हैं, वहीं हमास के समर्थन में भी फिलिस्तीन, ईरान, तुर्किये, रूस, पाकिस्तान, मिस्र, सऊदी अरब समेत अन्य मुस्लिम बहुल देश खुलकर आ गए हैं.
इजराइल 1948 में हुआ स्वतंत्र, तभी से यह विवादःIsrael-Hamas war
– इस विवाद का कारण यहूदी व मुस्लिमों के बीच चली आ रही जंग है. प्रथम विश्व युद्ध (1917) के समय ब्रिटेन ने ‘बाल्फोर घोषणा’ का ऐलान किया, इसमें यहूदियों के लिए नेशनल होम (राष्ट्रीय गृह) की स्थापना करने की आवश्यकता बताई गई.
– दूसरे विश्व युद्ध के बाद 1947 में यूनाइटेड नेशन ने फिलीस्तीन को दो अलग-अलग राष्ट्रों में विभाजित करने का प्रस्ताव रखा, इसमें एक राष्ट्र यहूदी व दूसरा राष्ट्र मुस्लिम देश के रूप में प्रस्तावित था. फिलिस्तीन ने इसे मानने से इनकार कर दिया था.
– 1948 में आखिरकार यहूदियों ने खुद के अलग राष्ट्र होने की घोषणा कर दी, जिसका नाम इजराइल रखा गया. इसे फिलिस्तीन ने मानने से इनकार किया.
– तभी से इजराइल व फिलिस्तीन के बीच विवाद चला आ रहा है. इजराइल को अलग देश के रूप में मान्यता देने का अरब देश विरोध करते हैं, जबकि अमेरिका समेत अन्य पश्चिमी देश इसका समर्थन करते हैं.