Saturday, 30 November 2024

परम सत्य : 42 हजार करोड़ रुपए छोड़कर बन गया भिखारी

Ven Ajaan Siripany : वेन अजान सिरिपान्यो का नाम हमेशा हमेशा के लिए अमर हो गया है। मलेशिया के मूल…

परम सत्य : 42 हजार करोड़ रुपए छोड़कर बन गया भिखारी

Ven Ajaan Siripany : वेन अजान सिरिपान्यो का नाम हमेशा हमेशा के लिए अमर हो गया है। मलेशिया के मूल निवासी तथा दुनिया के बहुत बड़े धनपत्ति वे अजान सिरिपान्यो के मात्र 18 साल की उम्र में वह कारनामा करके दिखा दिया है जो आज से 2600 साल पहले भगवान गौतम बुद्ध ने करके दिखाया था। भगवान गौतम बुद्ध ने सत्य की खोज में पूरा राज्य छोड़ दिया था। वे अजान सिरिपान्यो ने सत्य की खोज में 42000 करोड़ रुपए की धन संपदा से भरपूर पूरा औद्योगिक साम्राज्य त्याग दिया है। 42000 करोड़ रुपए का मालिक वेन अजान सिरिपान्यो अब एक भिखारी (भिक्षु )बन गया है ।

भगवान गौतम बुद्ध के रास्तें पर वेन अजान सिरिपान्यो

भगवान गौतम बुद्ध ने परम सत्य की खोज में 29 वर्षी की उम्र में अपना राज पाठ छोड़ दिया था। भगवान गौतम बुद्ध के मार्ग पर चलते हुए मलेशिया की सबसे बड़े धनपति आनंद कृष्णन के बेटे वे अजान सिरिपान्यो ने मात्र 18 वर्ष की उम्र में अपने औद्योगिक साम्राज्य को त्याग कर भिक्षु का जीवन अपना लिया है। फर्क बस इतना है की आत्मा तथा परमात्मा तक जाने के लिए भगवान बुद्ध ने मार्ग की तलाश की थी। वेन अजान सिरिपान्यो के पास भगवान बुद्ध के द्वारा बताया गया मार्ग भी मौजूद हैं। यही कारण है कि वह अजान सिरिपान्यो ने भगवान बुद्ध के मार्ग पर आगे बढ़ाने के लिए बौद्ध धर्म में विश्व के तौर पर प्रेरणा स्वीकार कर लिया है। परम सत्य की खोज में वेन तेजी से आगे बढ़ गए हैं।

अचानक पूरी दुनिया को चौंका दिया है वेन अजान सिरिपान्यो ने

मलेशिया दुनिया का एक प्रमुख देश है इसी देश मलेशिया के टेलीकॉम टायकून आनंद कृष्णन के बेटे वेन अजान सिरिपान्यो ने मात्र 18 साल की उम्र में अपने समृद्ध और विलासी जीवन को त्यागकर संन्यास लेने की घोषणा करके लोगों को चौंका दिया है। आनंद कृष्णन मलेशिया के तीसरे सबसे अमीर व्यक्ति हैं। उनके पास 5 अरब अमेरिकी डॉलर यानी कि 42,000 करोड़ से अधिक की संपत्ति है। दूरसंचार, मीडिया, उपग्रह, तेल, गैस और रियल एस्टेट में उनका व्यापार फैला हुआ है। आनंद कृष्णन एयरसेल के पूर्व मालिक भी रहे हैं, जो कभी आईपीएल टीम चेन्नई सुपर किंग्स को स्पॉन्सर किया करता था।

वेन अजान सिरिपान्यो का बचपन शाही अंदाज में बीता है। अब उन्होंने अपनी आरामदायक और ऐश्वर्यपूर्ण जीवनशैली को छोड़कर बौद्ध धर्म अपनाया और संन्यासी बनने का फैसला किया। वेन अजान सिरिपान्यो की संन्यास की यात्रा 18 साल की उम्र में थाईलैंड यात्रा से शुरू हुई थी। थाईलैंड में अपनी मां के परिवार से मिलने के दौरान उन्होंने अस्थायी रूप से एक आश्रम में संन्यास लेने का निर्णय लिया था। आज वे थाईलैंड-म्यांमार सीमा के पास स्थित द्ताओ डम मठ के प्रमुख (अब्बॉट) के रूप में जीवन यापन कर रहे हैं। उन्होंने लंदन में अपनी दो बहनों के साथ बचपन बिताया। वहीं उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी की। अलग-अलग संस्कृतियों के बीच पले-बढ़े अजान सिरिपान्यो ने बौद्ध धर्म के सिद्धांतों को गहराई से समझा है। वेन अजान सिरिपान्यो को आठ भाषाओं का ज्ञान है। उन्हें अंग्रेजी, तमिल और थाई भाषा का भी ज्ञान है। वेन अजान सिरिपान्यो बहुत ही साधारण जीवन जीते हैं। वह भिक्षाटन करके अपना जीवन-यापन करते हैं। वह अपने परिवार से भी जुडे हुए हैं और समय-समय पर परिवार के साथ अपने रिश्तों को बनाए रखने के लिए पूर्व जीवनशैली में लौटते हैं। वे कभी-कभी परिवार के सदस्य से मिलने के लिए यात्रा भी करते हैं। एक बार उन्हें अपने पिता से मिलने के लिए एक प्राइवेट जेट में इटली जाते हुए देखा गया था। परम सत्य की खोज में तेजी के साथ आगे बढ़ रहे है। अजान सिरिपान्यो की चर्चा पूरी दुनिया में हो रही है। वेन भगवान बुद्ध के बताए हुए मार्ग में ही सत्य की खोज कर रहे हैं।

भिखारी से भी मुश्किल जीवन जीने वाले हैं 42000 करोड़ वाले वेन

बौद्ध धर्म के भिक्षु का जीवन एक साधारण भिखारी से भी मुश्किल होता है। साधारण भिखारी को तो केवल अपना पेट पालने के लिए भीख मांगनी होती है। बौद्ध धर्म के भिक्षु को केवल भीख नहीं मांगनी होती बल्कि भगवान बुद्ध के द्वारा बताए गए कठोर नियमों का भी पालन करना पड़ता है। सामान्य तौर पर भगवान बुद्ध के बताए हुए नियमों की बात करें तो बौद्ध धर्म के भिक्षु को अपने भोजन के लिए भिक्षा मांगते हैं, जो उन्हें अपने साधारण जीवन के लिए आवश्यक होता है। बौद्ध भिक्षु साधारण वस्त्र पहनते हैं, जो उन्हें अपने साधारण जीवन के लिए उपयुक्त होते हैं। बौद्ध भिक्षु ध्यान और अध्ययन में अपना अधिकांश समय बिताते हैं, जिससे वे अपने ज्ञान और आत्म-साक्षरता को बढ़ावा दे सकते हैं। बौद्ध भिक्षु अक्सर सामुदायिक जीवन में रहते हैं, जहां वे अन्य भिक्षुओं के साथ रहते हैं और सामुदायिक गतिविधियों में भाग लेते हैं। बौद्ध भिक्षु अपने जीवन में अनुशासन और नियमों का पालन करते हैं, जो उन्हें अपने साधारण जीवन के लिए आवश्यक होते हैं। बौद्ध भिक्षु अक्सर दान और सेवा में अपना समय बिताते हैं, जिससे वे समाज के लिए उपयोगी हो सकते हैं। बौद्ध भिक्षु अपने जीवन में आत्म-साक्षरता और विकास पर ध्यान केंद्रित करते हैं, जो उन्हें अपने जीवन को सुधारने में मदद करता है।

इस प्रकार से यह स्पष्ट हो जाता है कि दुनिया की सारी सुख सुविधा छोड़ने वाले वेन अजान सिरिपान्यो का जीवन काफी कष्ट पूर्ण होने वाला है। 42000 करोड रुपए को लात मार कर भिक्षु बने वेन अजान सिरिपान्यो को एक भिखारी से भी मुश्किल जीवन जीना पड़ेगा।

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