Lucknow News: उत्तर प्रदेश में रामचरितमानस की प्रतियां जलाने को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है। बिहार से शुरु हुए इस विवाद को स्वामी प्रसाद मौर्य के विवादित बयान ने इस मामले को तूल दिया। उसके बाद विरोध के नाम पर प्रतियां जलाने ने भी समाज के बड़े तबके की भावनाओं को आहत किया। अब उस विवाद को लेकर ही यूपी पुलिस ने बड़ा एक्शन लिया है। जिलाधिकारी सूर्यपाल गंगवार के आदेश पर दो आरोपियों के खिलाफ रासुका के तहत कार्रवाई की गई है। बता दें कि प्रतियां जलने के मामले में सपा नेता स्वामी प्रसाद के साथ 10 लोगों को आरोपी बनाया गया है।
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5 आरोपी गिरफ्तार
बता दें कि 29 जनवरी को भाजपा कार्यकर्ता सतनाम सिंह लवी ने श्री रामचरितमानस की प्रतियां जलाने वालों के खिलाफ तहरीर दी थी इसके बाद पुलिस ने सलीम हसन और सत्येंद्र कुशवाहा समेत कुल 5 लोगों को गिरफ्तार किया था। फिर गिरफ्तार आरोपियों के खिलाफ जांच पड़ताल की कार्रवाई शुरू की गई। वहीं सलीम और सत्येंद्र कुशवाहा के खिलाफ एनएसए की कार्रवाई करते हुए रासुका लगाया गया। वहीं अन्य आरोपियों की भी भूमिका जांच की जा रही है। माना जा रहा है कि इस मामले में स्वामी प्रसाद मौर्य की मुश्किलें भी बढ़ सकती है।
जिस मंच पर व्याख्या करनी पड़ेगी करूंगा- सीएम योगी
स्वामी प्रसाद का समर्थन करते हुए अखिलेश यादव ने कहा था कि वह सदन में सीएम योगी आदित्यनाथ से उन चौपाइयों का अर्थ पूछेंगे, जिसे लेकर विवाद है। अखिलेश ने खुद को शूद्र कहकर राजनीति को हवा भी दी। उन्होंने सदन में सीएम योगी से इस संदर्भ में सवाल भी पूछने की बात कही। वहीं सीएम योगी ने चुप्पी तोड़ी है। उन्होंने ने कहा, मुझे जिस मंच पर रामचरितमानस की व्याख्या करनी होगी, वहां मैं जरूर करूंगा। मैं इतना जरूर कह सकता हूं कि यह प्रकरण विकास और निवेश जैसे मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए उसी पार्टी की शरारत का हिस्सा है, जिसके एजेंडे में कभी विकास रहा ही नहीं।
सपा नेता ने राम चरितमानस को लेकर कही थी ये बात
दरअसल, जिन लोगों ने रामचरितमानस की प्रतियां जलाईं थीं। वो सभी ओबीसी महासभा से जुड़े हैं। एक तरफ स्वामी प्रसाद मौर्य का समर्थन कर रहे थे तो वहीं दूसरी तरफ रामचरितमानस का विरोध कर रहे थे। वैसे ये पूरा विवाद स्वामी प्रसाद मौर्य के एक बयान के बाद ही शुरू हुआ था। सपा के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा था कि कई करोड़ लोग रामचरितमानस को नहीं पढ़ते, सब बकवास है। यह तुलसीदास ने अपनी खुशी के लिए लिखा है। उन्होंने कहा था कि- सरकार को इसका संज्ञान लेते हुए रामचरितमानस से आपत्तिजनक अंशों को बाहर करना चाहिए या इस पूरी पुस्तक को ही बैन कर देना चाहिए।
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