नई दिल्ली। कांग्रेस समेत 16 विपक्षी दलों के नेताओं ने अडाणी समूह के खिलाफ लगे आरोपों की जांच की मांग करते हुए बुधवार को संसद भवन से प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के मुख्यालय की ओर मार्च निकाला। हालांकि पुलिस ने उन्हें विजय चौक पर ही रोक लिया।
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प्रवर्तन निदेशालय के निदेशक एसके मिश्रा को ईमेल किए गए पत्र में विपक्षी नेताओं ने कहा कि यह संस्था अपने अधिकार क्षेत्र का त्याग नहीं कर सकती और उसे जांच करनी चाहिए। राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और कई विपक्षी नेता जब ईडी मुख्यालय के लिए संसद भवन से निकले तो पुलिस ने विजय चौक पर उन्हें रोका। पुलिस ने विजय चौक के निकट अवरोधक लगा रखे थे।
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कांग्रेस अध्यक्ष खरगे ने संवाददाताओं से कहा कि हम अडाणी समूह के घोटाले के मामले में ज्ञापन देने के लिए ईडी निदेशक से मिलने जा रहे थे, लेकिन सरकार ने हमें रोक लिया और विजय चौक तक भी जाने नहीं दिया। उन्होंने दावा किया कि लाखों करोड़ रुपये का घोटाला हुआ है। एलआईसी, स्टेट बैंक और दूसरे कई बैंक बर्बाद हो गए हैं। लोगों के बैंकों में रखे पैसे एक व्यक्ति को दे दिए गए। एक व्यक्ति अचानक से इतना अमीर हो गया। आज इस व्यक्ति की संपत्ति 13 लाख करोड़ रुपये को गई है। उन्होंने कहा कि इसकी जांच होनी चाहिए कि अडाणी और मोदी जी का रिश्ता क्या है। राष्ट्रीय जनता दल के सांसद मनोज झा ने आरोप लगाया कि यह तानाशाही सरकार है और यह विपक्ष की आवाज को दबाना चाहती है।
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कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने ईडी निदेशक को मेल किया गया पत्र साझा करते हुए ट्वीट किया कि ईडी को अडाणी घोटाले की जांच की मांग का शिकायती पत्र सौंपने जा रहे 16 विपक्षी दलों के नेताओं और सांसदों को आज दोपहर ईडी के कार्यालय तक जाने से रोक दिया गया। यह वह पत्र है, जिसे ईडी को ईमेल किया गया है। कांग्रेस समेत कई विपक्षी दल ने अडाणी समूह के खिलाफ तीन पृष्ठों के इस पत्र में ‘शेल’ कंपनियों और धनशोधन समेत कई आरोप लगाए गए हैं। विपक्षी नेताओं ने कहा कि ईडी अपने अधिकार क्षेत्र का त्याग नहीं कर सकती। उन्होंने ईडी से अडाणी समूह के खिलाफ लगे आरोपों की जांच करने का आग्रह किया।
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कांग्रेस, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी, जनता दल (यूनाइटेड), शिवसेना (यूबीटी), राष्ट्रीय जनता दल, झारखंड मुक्ति मोर्चा, आम आदमी पार्टी, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, और कई अन्य दलों के नेताओं ने इस पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं। विपक्षी दलों के मार्च से पहले, खरगे के संसद भवन परिसर स्थित कार्यालय में विपक्षी दलों के नेताओं ने अडाणी समूह से जुड़े मुद्दे पर अपनी संयुक्त रणनीति में समन्वय के लिए एक बैठक की।
तृणमूल कांग्रेस विपक्षी दलों के इस मार्च का हिस्सा नहीं थी। उसके सांसदों ने घरेलू रसोई गैस (एलपीजी) की कीमतों में वृद्धि को लेकर संसद भवन परिसर में महात्मा गांधी की प्रतिमा के सामने प्रदर्शन किया।
अमेरिकी वित्तीय शोध संस्था ‘हिंडनबर्ग रिसर्च’ की रिपोर्ट आने के बाद से ही अडाणी समूह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर लगातार हमलावर विपक्षी दलों के सदस्यों की मांग है कि इस मुद्दे की जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) का गठन किया जाए। उल्लेखनीय है कि ‘हिंडनबर्ग रिसर्च’ ने अडाणी समूह के खिलाफ फर्जी तरीके से लेन-देन और शेयर की कीमतों में हेर-फेर सहित कई आरोप लगाए थे। अडाणी समूह ने इन आरोपों को झूठा करार देते हुए कहा था कि उसने सभी कानूनों और प्रावधानों का पालन किया है।
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